HI : For The Hindu, By The Hindu

Donate

सन्यासी बाबा

कैंसर हॉस्पिटल

संत सम्मेलन

Forgot Password

Mahakumbh

लॉरेन पावेल

रामलला दर्शन

साधू जी सीताराम

ffd er re

sd rt wer t

sd g rt wer

exapj o d

this is first

Shri Vaishno Chalisha

॥ दोहा ॥


गरुड़ वाहिनी वैष्णवी,त्रिकुटा पर्वत धाम।
काली, लक्ष्मी, सरस्वती,शक्ति तुम्हें प्रणाम॥
 


॥ चौपाई ॥


नमो: नमो: वैष्णो वरदानी।

कलि काल मे शुभ कल्याणी॥


मणि पर्वत पर ज्योति तुम्हारी।

पिंडी रूप में हो अवतारी॥

देवी देवता अंश दियो है।

रत्नाकर घर जन्म लियो है॥


करी तपस्या राम को पाऊँ।

त्रेता की शक्ति कहलाऊँ॥

कहा राम मणि पर्वत जाओ।

कलियुग की देवी कहलाओ॥


विष्णु रूप से कल्की बनकर।

लूंगा शक्ति रूप बदलकर॥

तब तक त्रिकुटा घाटी जाओ।

गुफा अंधेरी जाकर पाओ॥


काली-लक्ष्मी-सरस्वती माँ।

करेंगी शोषण-पार्वती माँ॥

ब्रह्मा, विष्णु, शंकर द्वारे।

हनुमत भैरों प्रहरी प्यारे॥


रिद्धि, सिद्धि चंवर डुलावें।

कलियुग-वासी पूजत आवें॥

पान सुपारी ध्वजा नारियल।

चरणामृत चरणों का निर्मल॥


दिया फलित वर माँ मुस्काई।

करन तपस्या पर्वत आई॥

कलि कालकी भड़की ज्वाला।

इक दिन अपना रूप निकाला॥


कन्या बन नगरोटा आई।

योगी भैरों दिया दिखाई॥

रूप देख सुन्दर ललचाया।

पीछे-पीछे भागा आया॥


कन्याओं के साथ मिली माँ।

कौल-कंदौली तभी चली माँ॥

देवा माई दर्शन दीना।

पवन रूप हो गई प्रवीणा॥


नवरात्रों में लीला रचाई।

भक्त श्रीधर के घर आई॥

योगिन को भण्डारा दीना।

सबने रूचिकर भोजन कीना॥


मांस, मदिरा भैरों मांगी।

रूप पवन कर इच्छा त्यागी॥

बाण मारकर गंगा निकाली।

पर्वत भागी हो मतवाली॥


चरण रखे आ एक शिला जब।

चरण-पादुका नाम पड़ा तब॥

पीछे भैरों था बलकारी।

छोटी गुफा में जाय पधारी॥


नौ माह तक किया निवासा।

चली फोड़कर किया प्रकाशा॥

आद्या शक्ति-ब्रह्म कुमारी।

कहलाई माँ आद कुंवारी॥


गुफा द्वार पहुँची मुस्काई।

लांगुर वीर ने आज्ञा पाई॥

भागा-भागा भैरों आया।

रक्षा हित निज शस्त्र चलाया॥


पड़ा शीश जा पर्वत ऊपर।

किया क्षमा जा दिया उसे वर॥

अपने संग में पुजवाऊंगी।

भैरों घाटी बनवाऊंगी॥


पहले मेरा दर्शन होगा।

पीछे तेरा सुमरन होगा॥

बैठ गई माँ पिण्डी होकर।

चरणों में बहता जल झर-झर॥


चौंसठ योगिनी-भैंरो बरवन।

सप्तऋषि आ करते सुमरन॥

घंटा ध्वनि पर्वत पर बाजे।

गुफा निराली सुन्दर लागे॥


भक्त श्रीधर पूजन कीना।

भक्ति सेवा का वर लीना॥

सेवक ध्यानूं तुमको ध्याया।

ध्वजा व चोला आन चढ़ाया॥


सिंह सदा दर पहरा देता।

पंजा शेर का दु:ख हर लेता॥

जम्बू द्वीप महाराज मनाया।

सर सोने का छत्र चढ़ाया॥


हीरे की मूरत संग प्यारी।

जगे अखंड इक जोत तुम्हारी॥

आश्विन चैत्र नवराते आऊँ।

पिण्डी रानी दर्शन पाऊँ॥


सेवक \'शर्मा\' शरण तिहारी।

हरो वैष्णो विपत हमारी॥
 


॥ दोहा ॥


कलियुग में महिमा तेरी,है माँ अपरम्पार।
धर्म की हानि हो रही,प्रगट हो अवतार॥

Shri Chitragupt Chalisha

Shri Vaishno Chalisha

Shri Ram Chalisha

Shri Shanidev Chalisha

Shri Narmada Chalisha

Shri Gayatri Chalisha

Hanuman Chalisha

Shri Kaila Devi Chalisha